भारत में इस समय हर गली और हर मोहल्ले में त्योहार का माहौल है। हर कोई कल अयोध्या में कल होनेवाले श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा को हर्षित है। बच्चा - बच्चा श्री राम की पताका अपनी बाइक - गाड़ी पर लहराए घूम रहा है। ऑटो, टैक्सी और टेंपो वाले भी श्री राम की पताका लगाकर घूम रहें हैं। याद रहे इसमें से अस्सी प्रतिशत लोगों को राजनीति और राजनैतिक पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। श्री राम की पताका लोग अपने पैसे से खरीदकर लाए हैं।
भारत की अधिकांश जनता कल श्री राम की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा को उनके वनवास से लौटने के रूप में देख रही है। अधिकांश लोग के लिए राम आस्था के प्रतीक हैं और उनके लिए राम मंदिर का निर्माण सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। सालों से अंधेरे में और वकलताओं की दलील में श्री राम मंदिर की जिस सच्चाई को छिपाने की कोशिश की गई, आज सोशल मीडिया के युग में सभी के मोबाइल में मौजूद है।
राम कण - कण में हैं यह कहा जाता था लेकिन आज राम को कण - कण में देखा भी का रहा है। धर्म एक बहुत घटक अफीम है ऐसा एक दार्शनिक कह गए, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यही धर्म कई बार लोगों को एक - दूसरे से जोड़ता है। श्री राम पर लोगों को आस्था समाज में लोगों को जोड़ रही है। ऐसे में श्री राम और अयोध्या में उनके मंदिर को सिर्फ भाजपा की राजनीति कहकर बुलानेवाले सिर्फ मूर्ख हैं।