एक जमाना था कॉन्ग्रेस का, जब चुनाव एक औपचारिकता मात्र होते थे। चुनाव परिणाम में कॉन्ग्रेस का जीतना तय होता था। जमाना बदला कॉन्ग्रेस में राहुल गाँधी आ गए और भाजपा में नरेंद्र मोदी। चुनाव में जीत हार ऊपर नीचे होने लगी। अटल बिहारी वाजपेई ने तेरह दिन की सरकार का नेतृत्व भी किया।
गठबंधन के साथ सरकार बनाना आम बात हो गई। मिनिस्ट्री और पोर्टफोलियो जोड़ - तोड़ से लाभ - हानि बनाने के लिए बंटने लगे। फिर धीरे - धीरे २०१४ का साल आया, लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अपना जादू फैलाया और भाजपा ने अपने दम पर सरकार बनाई। मोदी का जादू एक बार फिर २०१९ में चला और नरेंद्र मोदी और अधिक सीटों के साथ चुनकर आए।
अब २०२४ का लोकसभा चुनाव सिर पर है और यह पहला चुनाव है, जिसके परिणाम पहले ही आ चुके हैं, भाजपा इस चुनाव में ४०० से भी अधिक सीट जीतती दिख रही है। राहुल गांधी हर आए दिन अपने भाषणों से भाजपा के सीट बढ़ा रहें हैं। नरेंद्र मोदी स्वयं अब २०२९ के चुनाव प्रचार में लग गए हैं।
अंतरिम बजट में सरकार आम आयकर में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है। नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों से राम मंदिर का जिक्र हटा दिया है क्योंकि वह कार्य अब पूरा हो चुका है और मंदिर की चाहत रखने वाला एक बड़ा वोट बैंक नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है।