भाजपा चुनाव हार गई, दोष मोदी और शाह का है ना की जनता का

भाजपा चुनाव हार गई। हां आप लोगों ने तो सुना, मतलब २७२ सीट अपने दम पर नहीं आ पाई ।उत्तरप्रदेश की जनता ने मोदी के साथ दगाबाजी कर दी? भाई साहब जब जीतते हैं तो अमित शाह को चाणक्य बताया जाता है और जब हार गए तो सारा दोष जनता के सिर पर डाल दिया, कहो यह भी कोई न्याय हुआ।

२०१४ और २०१९ में मोदी ने जनता को बहुत से सपने दिखाएं। पूरे हुए, नहीं हुए यह तो बाद की बात है लेकिन एक विदेशी दार्शनिक ने कहा था कि जनता को अपनी बातों से भरमा लेने वाला व्यक्ति चुनाव जीत जाता है। इसलिए तो लग्जरी गाड़ी में स्केचर की चप्पल पहनकर घूमने वालों को पैरवी भारत के सबसे महंगे वकील कर रहें हैं।

दलित वोट कट गया और सपा को पड़ गया। आईटी सेल हेड कह रहें हैं वोट प्रतिशत में अंतर नहीं पड़ा देखिए मेरी एनालिसिस। भाई यह सब तो वही बात हुई कि राहुल गांधी भले हार गए लेकिन उनकी नैतिक जीत हुई है। बात इतनी सी है कि आप कई जगह बुरी तरह से पिट गए और अब सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरूरत पड़ रही है।

अब आते क्यों हारे?

नीचे जो भी लिख रहा हूं, वही सब भाजपा की ३०० सीट की जीतपर, अमित शाह का मास्टर स्ट्रोक कहा जाता लेकिन जब हार गए हैं तो काहे का चाणक्य और किस बात का मास्टर स्ट्रोक।

भ्रष्टाचार के खिलाफ युद्ध और नैतिकता २०१४ में मोदी के अलावा भाजपा की सबसे बड़ी ताकत थी। २०२४ आते - आते भाजपा ने कांग्रेस से निकलनेवालों को गले लगाना आरंभ किया। अरे भाई जिस कैडर के दम पर आप २०१४ में चुनाव जीते, क्या उनमें से लोग ऊपर नहीं लाए जा सकते थे। मोदी और गडकरी भी एक जमाने में भाजपा के पोस्टर चिपकाने का काम करते थे।

लेकिन नहीं आप ले आए कृपाशंकर सिंह को जो घोटाले के आरोपी हैं, पूरी जिदंगी मुंबई में रहे और उन्हें आपने जौनपुर से लड़वा दिया। जौनपुर की जनता को लगा कि एक बाहरी आदमी को हमारे ऊपर थोप दिया गया लेकिन फिर भी वोट देने के लिए वो तैयार थे लेकिन लोकल राजनीति के प्लेयर धनंजय सिंह को आपने हार - जीत में फैक्टर नहीं किया। अजित पवार के साथ जो गलबहियां हुई उसके साथ नैतिकता और भ्रष्टाचार के खिलाफ आपका किला ढह गया।

अब आते हैं राज ठाकरे पर। बहुत अच्छा भाषण देते हैं। सुषमा अंधेरे के अलावा आज तक कोई राज ठाकरे से लोहा लेने की सोच भी नहीं सकता। आपने ठाकरे साहब को महाराष्ट्र में गले लगा लिया, वो भी उन साहब को जिनकी पार्टी परप्रांतियों को पीटने के लिए और भागने के लिए जानी जाती है और स्वयं वो इक्का दुक्का छोड़कर कहीं जीत नहीं पाते। आपके साथ मिलते ही उन्होंने अमित शिंदे की रैली में को पहला भाषण दिया वो यह था कि बाहर से आकर लोग ठाणे - कल्याण को पंगु बना रहें हैं और इसे रोका जाना चाहिए। भाषण यूट्यूब पर उपलब्ध है और सुना जा सकता है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद जब उद्धव ठाकरे ने आनाकानी शुरू की और अंत में जाकर कॉन्ग्रेस और पवार के समर्थन से सरकार बनाई तो मतदाता उद्धव से नाराज था लेकिन फिर आप भी कहां माननेवाले थे। शिवसेना को तोड़कर, शिंदे सेना बनाई और महाराष्ट्र में आपकी सरकार भी आ गई। वही मतदाता जो उद्धव पर खुन्नस खाए बैठा था और आपको जिताने के लिए आतुर था, उसने इस कृत्य को बाल ठाकरे के साथ धोखा समझ लिया और फिर आपको हराने के लिए तत्पर हो गया। राजनीति इमोशन का भी तो खेल है और आप तो यह बात जानते ही हैं?

बनारस ने मोदी की जीत की मार्जिन को घटा दिया और अयोध्या ने तो कमल को रौंदकर घंटी बजाई और आगे बढ़ गई। बनारस में मोदी ने इतना शानदार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाया और राम मंदिर तो प्राण प्रतिष्ठित किया। अब कोई कह रहा है, हिंदू हिंदुत्व का नहीं है। इस पर भी आते हैं।

उत्तर प्रदेश में सड़कें बनी इसमें कोई दो राय नहीं है। इस बार मैं स्वयं अपने गांव से बनारस एयरपोर्ट की यात्रा डेढ़ घंटे में पूरी की जो पहले ३ - ४ घंटे की होती थी क्योंकि रास्ते में रेलवे का फाटक था तो उसके लिए एक घंटा एक्स्ट्रा फैक्टर करके निकलना पड़ता था। अब कुछ लोग कह रहें हैं कि देश विकास के नाम पर वोट नहीं देता।

अरे भाई मैं घर से एयरपोर्ट गया तो मुझे पता है सड़क बनी है और मुझे लाभ हुआ है। लेकिन जो अपने घर की परिधि के पचास किलोमीटर का दायरे से नहीं निकला उसे क्या पता सड़क बनी है। चलिए एक उदाहरण देता हूं। प्रयागराज से बदलापुर जाते समय मुंगरा बादशाहपुर का एक रेलवे फाटक पड़ता है। वहां एक - दो घण्टे जाम में फंस जाना आम बात है। अब जो रोज इस जाम में फंसता है उसके लिए विकास कहां है?

मंदिर और सड़क निर्माण अच्छी बात है लेकिन चुनाव में बहुत सारे समीकरण होते हैं। उत्तर प्रदेश में सरकारी परीक्षा के पेपर लीक हो गए। नया वोटर सरकार को दोषी मानता है, बेचारा राम जी का नाम लेकर, पीच रोड पर गाड़ी दौड़कर पेपर देने पहुंचा। मोदी जी की तारीफ भी की लेकिन पेपर लीक हो गया लौटते समय साइकिल पर चढ़ा और कमल को रौंदते हुए घर लौट आया।

आशा करता हूं मंदिर और विकास वाला जवाब आपको मिल गया होगा। मुंबई उत्तर पश्चिम की सीट से शिवसेना पार्टी के रविन्द्र वायकर सिर्फ ४८ मतों से विजई हुए हैं। सिर्फ ४८ मत।

अब आते हैं जाति - पाति के समीकरण पर। २०१४ में देश ने मोदी को जाति - पाति से ऊपर उठकर वोट दिया। उन्हें लगा मोदी, वही सुनहरा रथ लेकर आएंगे और उन्हें बिठाकर उस जगह ले जाएंगे, जहां दूध की नदिया बहती हैं और सोने की चिड़िया गाती है। २०२४ में उनका भ्रम टूट गया। अब इसमें पूरी गलती मोदी की है। मोदी इस बार भ्रम में थे कि ३००-३५० सीट तो ऐसे ही आ जाएंगी।

भाजपा, मोदी, शाह यही लोग २०२४ में भाजपा की हार के जिम्मेदार हैं, किसी और को इसका दोष देना उतना ही सही होगा जितना यह मान लेना की कांग्रेस की ९९ सीट राहुल गांधी के कारण आया हैं।